
श्रावण मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
श्रावण मास 2019 तिथि
सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश के साथ ही श्रावण महीने की शुरुआत होती है। हालांकि, उत्तर भारत और दक्षिण भारत में श्रावण मास की गणना अलग-अलग की जाती है। दक्षिण भारतीय अमावस्या और चंद्र पंचांग को मानते हैं। जबकि उत्तर भारत में पूर्णिमा या फिर हिंदू पंचांग को माना जाता है। पूर्णिमा के मुताबिक की गई गणना में श्रावण महीना अमावस्या के मुताबिक हुई गणना से पंद्रह दिन पहले शुरू हो जाता है।
श्रावण महीने में होने वाली पूजा:
- रूद्राभिषेक
- महारूद्राभिषेक
- लघु रूद्राभिषेक
- महामृत्युंजय जाप
श्रावण महीने की तिथियां उत्तर भारत के लिए (राजस्थान, पंजाब, उप्र, मप्र, बिहार और हिमाचल प्रदेश)
तारीख | वार | त्यौहार |
17 जुलाई | बुधवार | श्रावण माह का प्रथम दिन |
22 जुलाई | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
29 जुलाई | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
5 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
12 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
15 अगस्त | सोमवार | श्रावण माह का आखिरी दिन |
श्रावण महीने की तिथियां पश्चिम और दक्षिण भारत के लिए (महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गोवा और गुजरात)
तारीख | वार | त्यौहार |
2 अगस्त | बुधवार | श्रावण माह का प्रथम दिन |
5 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
12 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
19 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
26 अगस्त | सोमवार | सावन सोमवार व्रत |
30 अगस्त | गुरुवार | श्रावण माह का आखिरी दिन |
क्या है श्रावण मास?
श्रावण या सावन का महीना हिंदू कलैंडर का पांचवा महीना है। यह जुलाई के आखिर में पूर्णिमा से शुरू होकर अगली पूर्णिमा को खत्म होता है। सावन का महीना दक्षिण-पश्चिमी मानसून के आने का उत्सव भी है। हिंदू कलैंडर में सावन माह को भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित किया गया है। इस पूरे महीने को भगवान शिव की भक्ति और पूजन के लिए पवित्र माना गया है। श्रद्धालु इस महीने में अलग-अलग व्रत रखते हैं। सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ रहती है।
सावन मास के पीछे मान्यता
मान्यता के मुताबिक माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। जिसके लिए उन्होंने पूरे सावन माह व्रत रखा और तपस्या की। पार्वती के तप और श्रद्धा को देख भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उनकी इच्छा पूरी की। भगवान शिव को सावन माह इसलिए पसंद है क्योंकि इस दौरान वह अपनी पत्नी पार्वती से मिले थे।

सावन मास का महत्व
- सावन महीना साल का सबसे पवित्र माह माना जाता है।
- यह सभी धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त समय है।
- हिंदुओं में इस महीने को लेकर खासी श्रद्धा और सम्मान है।
- यह महीना जीवन में आशिर्वाद और सौभाग्य लेकर आता है।
श्रावण मास के व्रत
सावन में लोग चार तरह के व्रत रखते हैं
- सावन सोमवार व्रत – सप्ताह का प्रथम दिन सोमवार भगवान शिव को समर्पित है। सावन महीने में आनेवाले सभी सोमवारों को लोग व्रत रखते हैं। सावन में कुल मिलाकर चार सोमवार आते हैं।
- सोलह सोमवार व्रत – लोग इस व्रत को लागातर 16 सोमवार तक करते हैं। श्रावण महीने के पहले सोमवार से सोलर सोमवार व्रत की शुरूआत होती है। आमतौर पर इस व्रत को कुंवारी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए करती हैं।
- प्रदोष व्रत – यह व्रत भगवान शिव को प्रिय तीन समयों का योग है। श्रावण, सोमवार और प्रदोष। यही कारण है कि लोग सावन महीने में यह व्रत करते हैं। सभी सोमवार और हिंदू माह के 13 वें दिन यानी त्रयोदशी को।
- मंगला गौरी व्रत – सावन माह में मंगलवार को होने वाले व्रत को मंगला गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है। महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए करती हैं।

श्रावण मास व्रत के नियम कायदे
पुराणों के मुताबिक सावन माह के व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है।
- सुबह जल्दी उठकर, घर में साफ-सफाई कर, ठीक तरीके से स्नान करना चाहिए।
- घर को पवित्र करने के लिए गंगाजल छिड़का जाता है।
- भगवान शिव की पिंडी को पूजा के लिए साफ किा जाता है।
- भगवान का दूध, जल, घी, गंगाजल और गुलाबजल आदि से रूद्राभिषेक किया जाता है।
- शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध अर्पित किया जा सकता है।
- ऊं नम: शिवाय के मंत्रोच्चारण के साथ ध्यान लगाया जाता है।
- बिना कुछ खाए लोग दिन में दो बार भगवान शिव का पूजन करते हैं। पहली पूजा सुबह और दूसरी सूर्यास्त के बाद।
- तिल के तेल का दीपक जलाकर पूजन किया जाता है।
- व्रत के दौरान सोलह सोमवार की व्रत कथा का वाचन किया जाता है। यह व्रत कथा महादेव और पार्वति की कहानी कहती है।
- आखिर में आरती कर परिजनों को प्रसाद बांटा जाता है।
- इसके बाद व्रत खोलकर सामान्य भोजन किया जा सकता है। लोग इस दौरान फलाहार भी लेते हैं।
श्रावण मास के दौरान हर दिन का महत्व
सावन माह के हर दिन का अपना धार्मिक महत्व है। किस दिन का क्या महत्व है और वह किस भगवान को समर्पित है, इसकी सूची:
- सोमवार – भगवान शिव को समर्पित
- मंगलवार – माता गौरी को समर्पित
- बुधवार – भगवान विष्णु के अवतार, भगवान विट्ठल को समर्पित
- गुरुवार – भगवान बुद्ध और गुरु को समर्पित
- शुक्रवार – देवी लक्ष्मी और तुलसी के नाम
- शनिवार – शनिदेव को यानी शनिग्रह के देवता को
- रविवार – सूर्यदेव यानी सूरज भगवान को
सावन महीने के त्यौहार
सावन माह को हिंदू कलैंडर में पवित्र इसलिए माना गया है क्योंकि इस दौरान कई त्यौहार आते हैं। कुछ प्रमुख त्यौहार:
त्यौहार | तारीख 2019 | पंचांग |
कृष्ण जन्माष्टमी | 24 अगस्त 2019 | पू्र्णिमा के आठवें दिन |
रक्षाबंधन | 15 अगस्त 2019 | सावन पूर्णिमा |
श्रावणी या नाराणी पूर्णिमा | 15 अगस्त 2019 | श्रावण पूर्णिमा |
पुत्रदा एकादशी | 11 अगस्त 2019 | अमावस्या के ग्यारहवें दिन |
नाग पंचमी | 5 अगस्त 2019 | अमावस्या के पांचवे दिन |
हरियाली तीज | 3 अगस्त 2019 | अमावस्या के तीसरे दिन |

- कृष्ण जन्माष्टमी – यह भगवान कृष्ण के जन्म का दिन है। इस उत्सव के साक्षी बनने के लिए मथुरा जाया जा सकता है। जो कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है। वैसे मुंबई में भी इस दिन दही हांडी का आयोजन होता है जो काफी अद्भुत परंपरा है।
- रक्षाबंधन – यह भाई और बहन के बंधन का प्रतीक है। सभी बहने अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन यानी रक्षा के लिए बंधन इसे राखी पूर्णिमा भी कहते हंै।
- श्रावणी या नाराणी पूर्णिमा – महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में मछुआरे नारियल समुद्र को समर्पित कर उससे मानसून में शांत रहने की प्रार्थना करते हैं। यह मछली पकड़ने के मौसम की शुरूआत होती है।
- श्रावण पुत्रदा एकादशी या पवित्रोपन एकादशी – पति और पत्नी जिनके शादी के लंबे समय बाद भी बेटा नहीं होता वह 24 घंटे का व्रत रखते हैं। भगवान विष्णु से प्रार्थना कर बेटे की मन्नत मांगते हैं।
- नागपंचमी – इस दिन परिवार के कल्याण के लिए सांपों के देवता नाग की पूजा की जाती है। लोग नाग की प्रतिमा को दूध चढ़ाते हैं। सांप भगवान शिव के प्रिय हैं इसलिए नागपंचमी को शिवमंदिरों में भी पूजा आयोजित की जाती है।
- हरियाली तीज – हरियाली तीज मानसून मौसम की शुरूआत का उत्सव है। इसे महिलाएं और लड़कियां नाच गाकर मनाती है। यह दिन माता पार्वती का दिन है, उनका भगवान शिव से मिलने का दिन।
श्रावण मास की विशेष पूजा
सावन के महीने में होने वाली विशेष पूजा अर्चना और विधि
- रूद्राभिषेक – यह पूरा भगवान शिव की होती है। उनके प्रसिद्ध रौद्र रूप की।
- महारूद्राभिषेक – यह रूद्राभिषेक शनि के नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है।
- लघु रुद्राभिषेक – यह रुद्राभिषेक पंडित मंत्रोच्चारण के साथ करते हैं।
- महामृत्युंजय जाप – लोगों के जीवन पर इस मंत्र का चमत्कारी प्रभाव पड़ता है। यह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलवाता है।
- ॐ त्र्यं॑बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् । उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर् मुक्षीय॒ माऽमृता॑त्
- मंत्रोच्चारण – इस मंत्र का उच्चारण रूद्राक्ष की माला के साथ किया जा सकता है। इसे आमतौर पर मन में किया जाता है। इसकी 108 बार गिनती होती है।
- ॐ नमः शिवाय
- मंगला गौरी पूजा – व्रत रखकर माता महा गौरी की पूजा से सावन के महीने में विशेष फल प्राप्त होता है।
सावन महीने में कांवड यात्रा

कांवड़ यात्रा या कांवड़ मेला वह धार्मिक मेला है जो सावन महीने में शुरू होता है। भक्त जो इस मेले में भाग लेते हैं उन्हें कांवड़िए कहा जाता है।
ये भक्त नंगे पैर चार प्रमुख धार्मिक स्थल गौमुख, हरिद्वार, गंगोत्री और सुल्तानगंज जाते हैं। वहां से पवित्र गंगाजल लेकर इस जल को देवघर में बाबा बैजनाथ या देश के बाकी ज्योर्तिलिंगों पर अर्पित करते हैं।
कांवड़िए अपनी क्षमता मुताबिक देश की बाकी नदियों का जल जैसे नर्मदा, क्षिप्रा का लेकर भी भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
कांवड़िए उत्तराखंड में गंगौत्री या गोमुख से चलना शुरू करते हैं। जबकि उनकी यात्रा देवघर जाकर खत्म होती है।
देवघर झारखंड में श्रावण मेला लगता है। जहां हजारों भक्त पवित्र जल लेकर पहुंचते हैं। इलाहाबाद और बनारस में इस दौरान विशेष अभिषेक किए जाते हैं।
श्रावण मास को लेकर पूछे जाने वाले सवाल
इस महीने का तारा श्रावण नक्षत्र होता है इसलिए इसे श्रावण माह कहा जाता है।
शादीशुदा महिलाएं यह व्रत सुखद जीवन के लिए रखती हैं। जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की मन्नत के साथ ये व्रत करती हैं।
कहा जाता है कि सावन में व्रत का स्वास्थ्य लाभ है। व्रत से पाचन क्रिया विकार रहित होती है। इससे बीमारियों से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता भी विकसित होती है।
व्रत के दौरान किसी को चोट पहुंचाने का दुखी करने जैसे काम नहीं किए जाने चाहिए। किसी से झूठ नहीं कहना चाहिए। शांत वातावरण में बैठकर भगवान को याद किया जाना चाहिए।
जिन सामग्रियों की जरूरत होती है वे हैं, गंगाजल, अक्षत, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, फूल, फल और अगरबत्ती।
Rajesh Yadav says
Thank you so much for giving this information
Deepak Karotia says
bahut bahut dhanaywad jankari ke liye.